प्रकृति और मनुष्य
आज हम जिस दौर में जी रहे हैं, वो एक ऐसा समय है जब प्रकृति और पर्यावरण का संतुलन गंभीर खतरे में है। पेड़ काटे जा रहे हैं, जंगल नष्ट किए जा रहे हैं, और शहरीकरण की दौड़ में हरियाली की बलि दी जा रही है। इसका सीधा असर हमारी जीवनशैली पर पड़ रहा है, खासकर भविष्य की पीढ़ियों पर। जिस तरह से बच्चे आज पानी की बोतल साथ लेकर स्कूल जाते हैं, वह दिन दूर नहीं जब उन्हें ऑक्सीजन सिलेंडर भी साथ ले जाना पड़ेगा। यह कल्पना मात्र ही भयावह है, लेकिन पर्यावरण की वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह दूर की बात नहीं लगती। पेड़ों की कटाई और ग्लोबल वार्मिंग की चुनौती धरती पर जीवन का आधार पेड़-पौधे हैं। यह न केवल हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं बल्कि पूरे पारिस्थितिक तंत्र को संतुलित रखते हैं। लेकिन जिस तेजी से पेड़ों की कटाई हो रही है, वह हमारे अस्तित्व के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है। हर दिन हजारों पेड़ काटे जा रहे हैं, जिससे ऑक्सीजन का स्तर घटता जा रहा है। इसके साथ ही, पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करके ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करते हैं। लेकिन पेड़ों की संख्या में कमी और लगातार बढ़ते औद्योगिक प्रदूषण