प्रकृति के दोषी सब पेड़ों की संख्या पूरी कहा नवयुग की पहचान मशीने इंसानों की ज़रूरत कहा भारत की संस्कृति में अब वो पहेले जेसी बात कहा खेलों से हैं प्रेम बढ़े अब खेलों में प्यार कहा जगह जगह बने देवालय देवताओ का है वास कहा चिंताओं से भरा मनुष्य शांति का है वास कहा मिलावट का मिलता है सब कुछ शुद्धता वाली बात कहा अहंकार है फेला जग में पहेले जेसा प्यार कहा महाराणा, चंद्रशेखर का देश भारत अब भगत सिंह सा यार कहा