वीरानी रातें

 


वीरानी रातें 


अनुकूल की दोपहर सूरज अपने आधे अवतार में आसमान के ऊपर उठा था। धरती की सांसें थम गई थीं, क्योंकि प्रकृति की गोद में सोने वाली वीरानी रातें अपने समाप्ति के करीब आ रही थीं। गांव के लोग अपने घरों में चले गए थे, अपने-अपने कामों में लिप्त हो गए थे। अधिकांश लोग इस अनुकूल के आगमन के लिए तैयार नहीं थे, इसलिए सिर्फ एक किशोर लड़के ने उसे देखने के लिए वक्त निकाला।


इस किशोर का नाम था रवि। वह दरियापुर गांव में रहता था और उसके पिता एक छोटे से किराना दुकान के मालिक थे। रवि को समुद्र और तारों से बहुत मोहब्बत थी। वह रोज़ रात को आसमान को देखकर खो जाया करता था, जब नक्षत्रों और चाँद की रौशनी धरती को आँखों में भर देती थी।


वह वीरानी रातों में भी समुद्र के लहरों की ध्वनि को सुनकर खुश हो जाता था। उसे लगता था कि उस ध्वनि में कुछ खास बात है, जो उसके दिल को छू जाती है। वह समय समय पर समुद्र के किनारे जाता और वहां बैठकर धीरे से समुद्र की लहरों के साथ अपनी बातचीत करने लगता। वह मानता था कि समुद्र उसके सभी राजों को सुन रहा है और उसके साथ बातें कर रहा है।


एक रात, जब वह वीरानी रातों में समुद्र के किनारे जा रहा था, उसे लगा कि समुद्र उससे कुछ कह रहा है। समुद्र की लहरें उसके पास आकर उसे छू रही थीं, जैसे कि वे उससे कुछ कहने की कोशिश कर रही हों। रवि कुछ समझ नहीं पाया और दिल उत्साह से भर गया। उसने बड़े ध्यान से समुद्र की ओर देखा और समझने की कोशिश की। धीरे-धीरे, रवि के सामने एक सुंदर सी सीधी सी राह दिखाई दी। समुद्र उसे अपने पास बुला रहा था। रवि ने दिल खोलकर समुद्र की ओर भागने की कोशिश की, और चाँद की किरणों के बीच से निकल कर वह राह पर चल पड़ा। समुद्र की लहरों ने रवि को अपनी गोद में लिया और उसे अपने रहस्यमय संसार में ले गए। रवि के आँखों में आश्चर्यजनक दृश्य दिखाई दी। उसे एक सुंदर रानी दिखाई दी, जो समुद्र की रानी थी। रानी बड़ी प्रेम से रवि को देखती और हँसते हुए उससे बोलीं।


"रवि, मैं तुम्हें अपने राज्य में आमंत्रित करती हूँ। यहाँ आकर तुम्हें समुद्र के सभी रहस्यों का ज्ञान होगा और तुम्हारे दिल को शांति मिलेगी।"


रवि बड़े उत्साह से सहमति देते हुए रानी के साथ चला गया। उसके बाद से, वीरानी रातें उस गांव को स्वर्ग से कम नहीं लगने लगीं। रवि को समुद्र की रानी से बड़ा कोई मित्र नहीं मिल सकता था। वह हर रात समुद्र की गोद में बैठकर उससे अपने जीवन के सभी सवालों का जवाब ढूंढता। रवि और समुद्र की रानी के बीच की दोस्ती और उनकी चुपचापी बातें वीरानी रातों को एक नई रौनक देने लगीं।


RAHUL KUMAR PRAJAPATI 

PGDAV COLLEGE, DELHI UNIVERSITY 

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